योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से चुनाव लड़ने का मतलब उन्हें उनके परम्परागत क्षेत्र तक ही सीमित रखना होता है। योगी जी पहले भी गोरखपुर से ही लोकसभा के सदस्य रहे हैं। अटकलों के बाजार में कभी मथुरा तो कभी अयोध्या के सीट से चुनाव लड़ने की बात कही जाती थी। लेकिन भाजपा द्वारा जारी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में योगी जी का नाम गोरखपुर सीट के लिए तय किया है।
यह तो हर कोई जानता है कि आज के समय में अयोध्या न सिर्फ उत्तर प्रदेश के लिए बल्कि पूरे देश के लिए हिंदुत्व की राजनीति का हार्ट स्पॉट बन चुका है। ऐसे में अगर योगी को यहां से चुनाव लड़ाया जाता तो वो हिंदुत्व के प्रतीक बन जाते। उन्हें हिंदुत्व के लिए वोट मिल जाता। ऐसे में योगी की हिंदुत्ववादी लोकप्रियता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे भी निकल सकती थी। ऐसे भी योगी आदित्यनाथ की छवि एक कट्टर हिंदुत्ववादी के रूप में स्थापित हो चुकी है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि अपनी हिंदुत्ववादी छवि के कारण ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समानांतर चर्चित हो गए हैं।
क्या योगी के हिंदुत्व का पंख कतर डाला मोदी ने ?
भाजपा के मोदी गुट को यह डर सता रहा होगा कि अयोध्या सीट से अगर योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ेंगे तो रामजन्म भूमि मंदिर के निर्माण का श्रेय भी उनकी झोली में भी चला जाएगा। जबकि रामजन्म भूमि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का परिणाम है। इस लिए यह आवश्यक था कि उन्हें अयोध्या के सीट से चुनाव लड़ने से रोका जाए।
अयोध्या की तरह ही मथुरा के सीट से योगी का चुनाव लड़ना भाजपा के मोदी गुट को रास नहीं आया। मुख्यमंत्री योगी कई बार मथुरा के विवादित ढांचे के खिलाफ भी बयान दे चुके हैं। ‘काशी-मथुरा बाकी है’ जैसे नारे को उन्होंने फिर से नई ऊर्जा दी है। अयोध्या की तरह मथुरा में भी एक विवादित ढांचे को तोड़ कर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के विस्तार की बात हो रही है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ का मथुरा से चुनाव लड़ने का मतलब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से कोसों आगे निकल जाना होता। कही न कही योगी की हिंदुत्ववादी छवि मोदी की छवि के आड़े आ ही जा रही है।
उड़ान अयोध्या से गोरखपुर की
हालांकि भाजपा की ओर से यह बताई जा रही है कि अगर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चुनाव लड़ते हैं तो इससे पार्टी को पूर्वांचल में फायदा होगा। पूरे क्षेत्र में बहुत अच्छा असर होगा। साथी ही गोरखपुर सदर सीट योगी आदित्यनाथ के लिए संभवतः सबसे सुरक्षित सीट भी है। बरहाल तय तो यही हुआ है कि योगी आदित्यनाथ अपने परम्परागत क्षेत्र से ही चुनाव लड़ेंगे।
यह बात तो निश्चित तौर पर सही है कि अगर योगी आदित्यनाथ की सरकार दुबारा उत्तर प्रदेश में बनती है तो इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की छवि को टक्कर देने वाली लोकप्रिय नेता भाजपा में उभर कर सामने आ ही जाएगा। इस लिए यह चुनाव योगी आदित्यनाथ के करियर के लिए बहुत ही खास है। उत्तर प्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए दोनों के लिए बेहद खास माना जा रहा है।
सूत्रों की माने तो इस बात टिकट वितरण में आरएसएस के प्रभाव को सीमित कर दिया गया है। पिछली बार की तरह इस बार के विधानसभा चुनाव में आरएसएस के हस्तक्षेप को भाजपा द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। क्योंकि आरएसएस समर्थित विधायकों के सहमति के कारण ही योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन पाए थे। यह भाजपा के मोदी खेमे और आरएसएस के बीच टकराव की बड़ी वजह भी बन सकता है।
Read More
- भाजपा के अंदर भी मुकाबला कर रहे हैं योगी
- काशीराम ने पत्रकार आशुतोष को मारा था थप्पड़!
- कौन हैं हरनाज कौर संधू ?