दीन-ओ-मज़हब बजा सही लेकिन
रोने वाला यतीम किस का है
एहसान जाफ़री
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भूके प्यासे मुफ़लिस और यतीम हैं जो
नज़रे इनायत उन पर भी कर दे मौला
सलीम रज़ा रीवा
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बचा के लाएं किसी भी यतीम बच्चे को
और इस के हाथ से तख़लीक़-ए-कायनात करें
फ़र्हत एहसास
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हमारे बाद कोई सरपरस्त मिल ना सका
यतीम-ख़ाने में रखा गया मुहब्बत को
हसीब उल-हसन
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यतीम मेरी पढ़ाई थी मेरे खेल यतीम
यतीम मेरी मुसर्रत थी मेरा गम भी यतीम
फ़िराक़-गोरखपुरी
अनाथ और यतीम पर शायरी
फ़ैज़ यतीम-ओ-बेकस से ये पूछोगे
माँ के आँचल का होता है कोना क्या
फ़ैज़ अलामीन फ़ैज़
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यतीम पालती है बहन किस मशक़्क़त से
है दुख की बात कि इमदाद भाई देता नहीं
रशीद हसरत
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हर्फ़-ए-सुख़न दे ऐसा कि दर यतीम हो
दे तमकेनत ज़बान में लहजे में शान दे
इक़बाल हैदरी
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शरीफ़ ज़ादों की बेजा ख़ताओं से मिलने
यतीम ख़ानों के बच्चों से मिलने जाया करो
रमेश कंवल
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कहीं पे मरते हैं भूक से कुछ यतीम बच्चे
कहीं पे कासे हैं साइलों के भरे मुसलसल
इनामता अली
अनाथ और यतीम पर शायरी
भूके यतीम लोरियाँ ही सुनके सो गए
आँखों में क्यों ना अशक सजा कर ग़ज़ल कहूं
सफिया राग अलवी
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यतीम लगने लगा इशक़ मेरा मुझको ख़ुद
मैं रो पड़ा हूँ नज़र से तेरी उतरते हुए
शेवावमु मिश्रा अनवर
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यतीम बच्चे बिलकते हैं गोदियों के लिए
ग़रीब-ए-शहर तरसते हैं रोटियों के लिए
वामक़ जोंपूरी
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तुम अहिल-ए-ख़ाना रहे और मैं यतीम हुआ
तुम्हारा दर्द बड़ा है या मेरा ग़म बोलो
ज़ुबैर अली ताबिश
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यतीम बच्चों को पालने का सवाब मांगा
ख़ुदा से अपनी मुसीबतों का हिसाब मांगा
निसार नासिक