यह तो हर कोई समझता ही है कि यूपी चुनाव परिणाम का असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर होगा। लेकिन यह भी तय है कि इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम का प्रभाव बिहार की राजनीति पर भी पड़ेगा। बिहार में राजनीतिक उठापटक अपने चरम पर है। सत्ता और विपक्ष दोनों की।सरगर्मियां तेज है। यह कहना तो जल्दबाजी नहीं होगी कि अगर यूपी के चुनाव परिणाम में अभी कुछ दिनों की देरी नहीं होती तो जदयू भाजपा गठबंधन की सरकार गिर भी जाती।
जदयू भाजपा का आपसी टकराव बढ़ ही रहा है। इधर जदयू के भीतर ललन सिंह और आरसीपी सिंह खेमे के बीच की टकराहट भी बढ़ने लगी है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने तो कल संवाददाता सम्मेलन में यूपी चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन की बात नहीं बनने के आरसीपी सिंह पर आरोप भी लगाया है। आरसीपी सिंह की ईमानदारी पर संदेह करते हुए भाजपा के प्रति उनकी उनके बढ़ते प्रभाव का भी संकेत किया है।
दरअसल, राजनीति के जानकारों का मानना है कि आरसीपी सिंह के जरिए भाजपा जदयू के भीतर गुटबाजी को हवा देना चाहती है।
अगर यूपी में भाजपा हार गई तो बिहार में गिर सकती है सरकार
यूपी चुनाव का सीधा प्रभाव बिहार की राजनीति पर पड़ेगा। अगर यूपी में भाजपा की हार होती है तो बिहार में जदयू का मनोबल बढ़ेगा। अभी गठबंधन में जदयू की स्थिति बहुत ही कमजोर है। इसके पास मात्र 40 सीटे ही हैं। इसके बावजूद यूपी में भाजपा की हार के बाद बिहार में जदयू का मनोबल बढ़ेगा। क्योंकि यूपी में भाजपा की हार का मतलब होगा कि यूपी के ओबीसी समाज पर भाजपा की पकड़ का कमजोर होना। यूपी के बाद भाजपा के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनाव 2024 का लोकसभा चुनाव होगा। इस चुनाव से नरेंद्र मोदी की साख सीधे तौर पर जुड़ी है। बिहार में लोकसभा के कुल 40 सीटे हैं जो भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहां भी ओबीसी जातियों का बहुत प्रभाव है जो भाजपा के साथ नहीं हैं। भाजपा नीतीश कुमार के जरिए बिहार के ओबीसी समाज का वोट चाहती है। यूपी में हार के बाद तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा सभी जातियों को खास कर ओबीसी को हिंदुत्व के नाम पर एकजुट नहीं कर पाई। ऐसे में बिहार में नीतीश कुमार की उपयोगिता बढ़ जाएगी।
बिहार के विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा मजबूत हो सकता है
यूपी में भाजपा की हार के बाद बिहार में नीतीश कुमार का महत्व बढ़ जाएगा। फिर नीतीश कुमार अपने उन एजेंडों को वरीयता देने शुरू कर देंगे जिसे लेकर भाजपा के साथ टकराव की स्थिति होती है। उनमें सबसे ज्वलंत एजेंडा है बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का। जदयू केंद्र के भाजपा सरकार पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का दबाव बढ़ाएगी।
इसके साथ शराबबंदी, पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने जैसे मुद्दों पर भाजपा औऱ जदयू में आपसी टकराहट है।
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