तूफ़ान पर शायरी
ख़ुद पर कोई तूफ़ान गुज़र जाने के डर सेमैं बंद हूँ कमरे में बिखर जाने के डर सेहुस्न अज़ीज़ साहिल के सिक्कों से किसे इनकार है लेकिनतूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ हैआल-ए-अहमद सरवर जिसको तूफ़ाँ से उलझने की हो आदत मुहसिनऐसी कश्ती को समुंद्र भी दुआ देता है सब एहतिमाम जानिए अगले …