हमसे नफ़रत कुछ यूं भी निभाई गईहमारे सामने चाय बना के औरों को पिलाई गईनामालूम۔चाय मेरी ज़िंदगी में लाज़िम है ऐसेआशिक़ को महबूब का दीदार हो जैसेनामालूम ۔पुरतकल्लुफ़ सी महकती वो सुहानी चायअब कहाँ हमको मय...
Remember Me
Please enter your username or email address. You will receive a link to create a new password via email.