Thinkerbabu न्यूज़ डेस्क द्वारा
09 मार्च 2022
यूक्रेन में रूसी बमबारी से बडी संख्या में आम नागरिकों के हताहत होने की खबर है। इस बीच कई देशों के नागरिक भी फंसे है। भारत के करीब 20,000 छात्र-छात्राएं वहाँ फंसे थे जिन्हें कई जटिल प्रयासों के बाद अपने देश लाया गया है। अभी भी वहां कई देशों के बच्चे है ही। इस बीच रूस पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बना कर आम नागरिकों और विदेशी बच्चों को वहां से बाहर निकलने का पहल किया जा रहा हैं। अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण रूस ने कई शहरों में सीजफायर की घोषणा की है जिस बीच लाखों की संख्या में लोगों को यूक्रेन से बाहर जाने का मौका मिला है।
खबर है कि यूक्रेन के पूर्वोत्तरी शहर सूमी में पिछले कई दिनों से मानवीय कॉरिडोर खोला जा रहा है।
सुमी के गवर्नर ने कहा है कि यह व्यवस्था फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए अभी कुछ और दिनों तक कायम रहेगी। सीजफायर के बीच मानवीय कॉरिडोर बनने से अकेले मंगलवार को क़रीब 5000 लोगों शहर से बाहर निकल गए।
हालांकि रूसी बमबारी में सुमी के अधिकांशतः हिस्से बर्बाद हो चुका है। पिछले मंगलवार को यहां फंसे 694 भारतीय छात्र को लविव शहर के रास्ते बाहर निकाला गया है। यहाँ से हज़ारों भारतीय छात्रों को बाहर निकाला गया है। इनमें से करीब एक हज़ार निजी वाहनों में शहर से निकले और कई लोग ट्रेन से निकल पाए।
जब रूस अंतर्राष्ट्रीय दबाव में मानवीय कॉरिडोर बनाने के लिए सीजफायर के लिए तैयार हुआ तब वह यही चाहता था कि यह कॉरिडोर रूस की सीमा के तरफ यानी बेलारूस की सीमा की तरह निकले। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंसकी ने इस रूस प्रस्ताव का बड़ा विरोध किया था। वो चाहते थे कि मानवीय कॉरिडोर यूक्रेन से रूस की तरफ न् हो।
अभी यूक्रेन के शहर सुमी से जो कॉरिडोर बनाया गया है वह सुमी में तैयार मानवीय कॉरिडोर सुमी से पोल्तोवा, पोल्तोवा से लविव और फिर लविव पोलैंड तक कायम है।
लाखों की संख्या में यूक्रेनी नागरिक शरणार्थी बन चुके है
रूसी हमलों के बीच बड़ी संख्या में आम यूक्रेनी नागरिकों की मौत की खबर मिल रही है। जिसके कारण लाखों की संख्या में यूक्रेनी शरणार्थियों को पोल्तोवा ले जाया गया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार क़रीब 20 लाख यूक्रेनी नागरिकों को अपना घरबार छोड़ना पड़ा है।