हर शख़्स पर किया ना करो इतना एतिमाद
हर साया-दार शै को शजर मत कहा करो
मुज़फ़्फ़र वारसी
सुन नसीहत मेरी ए ज़ाहिद-ए-ख़ुश्क
अशक के आब बिन वुज़ू मत कर
दाऊद औरंगाबादी
किया करते हो तुम नासेह नसीहत रात-दिन मुझको
उसे भी एक दिन कुछ जा के समझाते तो क्या होता
नामालूम
कल थके-हारे परिंदों ने नसीहत की मुझे
शाम ढल जाये तो मोहसिन तुम भी घर जाया करो
मुहसिन नक़वी
फीकी है तेरी नसीहत, साथ मेरे गुल मचा
शोर से नासेह नमक आ जाएगा, तक़रीर में
मीर मुहम्मद सुलतान आक़िल
मेरी ही जान के दुश्मन हैं नसीहत वाले
मुझको समझाते हैं उनको नहीं समझाते हैं
लाला माधव राम जोहर
मुझी को वाइज़ा पंद-ओ-नसीहत
कभी उस को भी समझाया तो होता
वाजिद अली शाह अख़तर
नसीहत / सलाह पर शायरी
नासेह तुझे आते नहीं आदाब नसीहत
हर लफ़्ज़ तिरा दिल में चुभन छोड़ रहा है
नामालूम
दर्द-ए-सर है तेरी सब पंद-ओ-नसीहत नासेह
छोड़ दे मुझको ख़ुदा पर ना कर अब सर ख़ाली
मरदान अली ख़ां राना
अहल नसीहत जितने हैं हाँ उनको समझा दें ये लोग
मैं तो हूँ समझा समझाया ,मुझको क्या समझाते हैं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
फ़ायदा क्या है नसीहत से फिरे हो नासेह
हम समझने के नहीं लाख तो समझाए हमें
आसिफ़ अलद विला
आते हैं इयादत को तो करते हैं नसीहत
अहबाब से ग़मखार हुआ भी नहीं जाता
फ़ानी बदायूंनी
ना मानूँगा नसीहत पर ना सुनता में तो क्या करता
कि हर हर बात में नासेह तुम्हारा नाम लेता था
मोमिन ख़ां मोमिन
नासाहा मत कर नसीहत दिल मेरा घबराए है
मैं उसे समझूं हूँ कब जो तुझसे समझा जाये है
नामालूम
नसीहत / सलाह पर शायरी
मैं जो कहता हूँ मुझसे दूर रहो
ये नसीहत है इलतिमास नहीं
सय्यद ज़ामिन अब्बास काज़मी
होती है दूसरों को हमेशा ये नागवार
अपने सिवा किसी को नसीहत ना कीजीए
साहिर सयालकोटी
मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तो दोस्त है तो नसीहत ना कर ख़ुदा के लिए
शाज़ तमकेनत
आपकी ज़िद ने मुझे और पिलाई हज़रत
शैख़-जी इतनी नसीहत भी बुरी होती है
हुस्न बरेलवी
ज़ख़म जो तू ने दिए तुझको दिखा तो दूं मगर
पास तेरे भी नसीहत के सिवा है और किया
इर्फ़ान अहमद