By मों अलताफ अली
श्रीलंका के विश्व विजेता कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने कहा था की जिस टीम को BCCI ने श्रीलंका के साथ खेलने के लिए भेजा है वो बच्चों की टीम है और उसके साथ खेलना श्रीलंका टीम का अपमान है। लेकिन पहले ODI में ही पता चल गया की जिस टीम को बच्चा कहा जा रहा था वो श्रीलंका टीम को ट्रैंनिंग दे सकती है।
7 विकेट से जीत हासिल कर भारत की ये टीम ने साबित कर दिया की वह श्रीलंका ही नहीं बल्कि बाकि सारे टीम को टक्कर देने की क्षमता रखता है | मुझे ये बात समझ नहीं आ रही है की अर्जुन रणतुंगा ने क्या सोच कर ऐसा कहा की ये टीम बच्चों की टीम है, लगता है उन्होंने प्लेइंग 11 सही से देखा नहीं होगा।
शिखर धवन ,ईशान किसन, सूर्यकुमार यादव,पृथ्वी शॉ, हार्दिक पंडिया भुबनेश्वर कुमार, यवि चहल और कुलदीप यादव जैसे दिग्गज खिलाडी को कोई कैसे बच्चों की टीम कह सकता है जिन्होंने इससे पहले भी कितनी टीमों के पसीने छुड़ा चुके है। लगता है अर्जुन रणतुंगा ने 2017 का वह मैच नहीं देखा है जिसमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई में हर्दिक पंडिया ने 78 (72 ) रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया की हालत ख़राब कर दी थी ,अर्जुन को फुर्सत से बैठ कर आईपीएल के वो सारे मैच देखने चाहिए जिसमें ईशान ने मुंबई इंडियंस को जीत दिलाई है यूजी चहल,भुबनेश्वर कुमार ,दीपक चाहर की गेंदबाज़ी पर भी एक नज़र डाल लेनी चाहिए थी, अर्जुन रणतुंगा को तो शायद आज ये कहने की नौबत न आती की BCCI ने बच्चों को भेजा है खेलने के लिए अभी और 2 ODI और 3 टी20 बाकि है ये बताने के लिए की श्रीलंका पहले इनसे निपट ले फिर बड़े सपने देखे वैसे BCCI ने ये जान बुझ कर नहीं किया है कोरोना के हालात को देखते हुए उन्होंने ये फैसला लिया है क्योंकि भारत की एक टीम पहले से ही इंग्लैंड दौरे पर है, भारत के पास अभी भी इतने काबिल खिलाडी है की BCCI और चार टीमें तैयार कर सकती है और अलग अलग देशों से एक ही वक़्त में मैच करा सकती है क्योंकि भारत ने क्रिकेट में अभी वह मुकाम हासिल कर लिया है कि कोई भी देश भारत की बराबरी करने के बारे में नहीं सोच सकता।(thinkerbabu)
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