कर्नाटक का हिजाब (Hijab) विवाद हिन्दू मुस्लिम विवाद का कारण बन चुका है। वहां के कई कॉलेजों में पत्थरबाजी होने की खबर है। यह विवाद अब कॉलेज परिसर से बाहर निकल कर सड़कों पर आ गई है। कर्नाटक के शिवमोगा, बन्नाहट्टी, मांन्ड्या तथा उडुपी में हिंसक वारदात की खबरे आ रही है। कर्नाटक के इस विवाद के कारण राज्य में साम्प्रदायिक तनाव तो है ही। ऐसे यह सवाल पैदा होना लाजमी है कि इस तनाव का चुनावी असर क्या होगा!
विपक्षी नेताओं की कर्नाटक हिंसा पर क्यों है चुपी ?
कर्नाटक में हिजाब हिंसा पर देश के विपक्षी नेता बयान देने से बचते नज़र आ रहे हैं। इन नेताओं की चुप्पी से ही इसके चुनावी असर को समझा जा सकता है। सोशल मीडिया पर कर्नाटक के हिंसक झपडों की खबरे बहुत वायरल हो रही है लेकिन विपक्षी नेता इस पर बयानबाजी से परहेज करते दिख रहे हैं। हिजाब बनाम भगवा पट्टे की लड़ाई साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का कारण बन सकती है। कर्नाटक में तो 2023 में चुनाव होने है। लेकिन अभी यूपी सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहा है। इस चुनाव पर इसका साफ असर होता दिख रहा है।
कॉलेजों में यूनिफॉर्म पहनने जैसे साधरण सरकारी आदेश का इतना बड़ा साम्प्रदायिक विवाद में बदल दिया जाएगा यह किसी ने सोच भी नहीं सकता। आलम यह है कि जो भगवा पट्टे पहने कॉलेज परिसरों में औऱ सड़कों पर पत्थरबाजी, नारेबाजी कर रहे हैं उनमें तो ज्यादातर छात्र है भी नहीं। स्पष्ट है कि इस विवाद में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति है। इससे यही मतलब निकलता है कि इसका मजकर राजनीति किया जा रहा है। अब यूपी चुनाव में भी इसका असर होगा। इस चुनाव में इस हिंसा का उपयोग हिन्दू-मुस्लिम गुटबाजी के रूप में हो सकता है।
जाट समाज पर प्रभाव पड़ सकता है
यूपी पश्चिम का क्षेत्र जाट बहुसंख्यक है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को वोट दिया गया है। इस बार जाट समाज का एक बड़ा तबका भाजपा से नाराज है। नए कृषि कानून के विरोध में जो इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ उसमें जाट समाज की अधिक सक्रियता समझी जाती है। यह क्षेत्र इस बार भाजपा के लिए कठिन माना जा रहा है। लेकिन अगर यहां कर्नाटक के हिजाब हिंसा का प्रभाव पड़ा तो जाट समाज का रुख भी भाजपा की ओर हो सकता है। क्योंकि यह इलाका हिन्दू मुस्लिम दंगे से वाकिफ है। वैसे भी भाजपा की केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून को वापस ले ही लिया है। यही कारण है कि विपक्षी नेता इस विवाद पर बयान देने से परहेज कर रहे हैं। क्योंकि वो जितना अधिक बयान देंगे उतना की साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण होगा। इसका सीधा असर जाट सहित कई हिन्दू समाज पर पड़ सकता है।
अभी भाजपा के लिए दलित और ओबीसी वोट पर पकड़ मुश्किल है। ओबीसी पर समाजवादी पार्टी की पकड़ अपेक्षाकृत बढ़ने की खबर है। दलित वोट तो वैसे भी भाजपा के लिए चुनौती है ही। ऐसे में हिंदुत्व का मुद्दा भाजपा को राहत दे सकती है।
प्रियंका गांधी से बड़े ही चतुराई से दिया जवाब
कर्नाटक हिंसा पर जब पत्रकारों ने प्रियंका गांधी से सवाल पूछा तो उन्होंने बहुत ही समझदारी और चतुराई से जवाब देते हुए इसे महिला अधिकार से जोड़ दिया। जबकि हिजाब हिंसा हिन्दू बनाम मुस्लिम अस्मिता से जुड़ा है लेकिन उन्होंने इसे महिला अधिकार से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि “कोई महिला क्या पहने यह उसका अधिकार है। वह बिकनी पहने या हिजाब यह उसका अधिकार है”
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