हास्य शायरी
हमने कितने धोके में सब जीवन की बर्बादी की
गाल पे इक तिल देख के उनके सारे जिस्म से शादी की
सय्यद ज़मीर जाफ़री
इस की बेटी ने उठा रखी है दुनिया सर पर
ख़ैरीयत गुज़री कि अंगूर के बेटा ना हुआ
आगाह
अकबर दबे नहीं किसी सुल्ताँ की फ़ौज से
लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज से
अकबर इला आबादी
लिपट भी जाना ,रुक अकबर ग़ज़ब की ब्यूटी है
नहीं नहीं पे ना जा, ये हया की डयूटी है
अकबर इला आबादी
ग़ज़ब है वो ज़िद्दी बड़े हो गए
मैं लेटा तो उठ के खड़े हो गए
अकबर इला आबादी
इस क़दर था खटमलों का चारपाई में हुजूम
वस्ल का दिल से मेरे अरमान रुख़स्त हो गया
अकबर इला आबादी
धमका के बोसे लूँगा ,रुख़ रश्क-ए-माह का
चंदा वसूल होता है साहिब, दबाव से
अकबर इला आबादी
हास्य शायरी
हक़ीक़ी और मजाज़ी शायरी में फ़र्क़ ये पाया
कि वो जामे से बाहर है ये पाजामे से बाहर है
अकबर इला आबादी
जब गुम हुआ चढ़ा लें दो बोतलें इकट्ठी
मुल्ला की दौड़ मस्जिद अकबर की दौड़ भट्टी
अकबर इला आबादी
जब भी वालिद की जफ़ा याद आई
अपने दादा की ख़ता याद आई
मुहम्मद यूसुफ़ पापा
ताल्लुक़ आशिक़-ओ-माशूक़ का तो लुतफ़ रखता था
मज़े अब वो कहाँ बाक़ी रहे बीवी मियां हो कर
अकबर इला आबादी
उर्दू से हो क्यों बेज़ार इंग्लिश से क्यों इतना प्यार
छोड़ो भी ये रट्टा यार, टोइनकल टोइनकल लिटिल स्टार
अनवर मसऊद
आम तेरी ये ख़ुशनसीबी है
वर्ना लंगड़ों पे कौन मरता है
साग़र ख़य्यामी
सिर्फ मेहनत किया है अनवर कामयाबी के लिए
कोई ऊपर से भी टेलीफ़ोन होना चाहीए
अनवर मसऊद
हास्य शायरी
है कामयाबी – ए – मर्दां में हाथ औरत का
मगर तू एक ही औरत पे इन्हिसार ना कर
अज़ीज़ फ़ैसल
बेगम भी हैं खड़ी हुई मैदान-ए-हश्र में
मुझसे मेरे गुना का हिसाब ऐ ख़ुदा ना मांग
हाशिम अज़ीमाबादी
बुतों के पहले बंदे थे, मिसों के अब हुए ख़ादिम
हमें हर अह्द में मुश्किल रहा है बा-ख़ुदा होना
अकबर इला आबादी
लांडरी खोली थी उस के इशक़ में
पर वो कपड़े हमसे धुलवाता नहीं
अख़तर शीरानी
होंट की शीरीनियाँ कॉलेज में जब बटने लगीं
चार दिन के छोकरे करने लगे फ़रहादियाँ
हाशिम अज़ीमाबादी
हर मुल़्क उस के आगे झुकता है एहतिरामन
हर मलिक का है फ़ादर हिंदुस्तां हमारा
शौक़ बहराइची
क्या पूछते हो अकबर शोरीदा-सर का हाल
खु़फ़ीया पुलिस से पूछ रहा है कमर का हाल
अकबर इला आबादी