इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव का कुछ अलग ही रंग है। जनता में प्रत्याशियों के खिलाफ आक्रोश स्पष्ट दिखाई दे रहा है। आलम यह है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई गांवों में बीजेपी उम्मीदवारों को गम्भीर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इन जगहों पर लोग भाजपा प्रत्याशियों से बहसबाजी कर रहे हैं, उन्हें काले झंडे दिखा रहे हैं, यहां तक कि उन पर पत्थर फेंकने और कीचड़ फेंकने की भी कई घटना सामने आई है।
हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फरवरी 10 और 14 फरवरी को मतदान होना है। इसलिए यहाँ चुनाव प्रचार पूरे गर्म जोशी के साथ हो रही है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में इलाकों में भाजपा के प्रति इस क़दरआक्रोश के कारण और प्रभाव को टटोलने के क्रम में अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने एक ख़बर के छापी है। 24 जनवरी को चुर गांव में बीजेपी उम्मीदवार मनिंदरपाल सिंह को हिंसक आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है।यह आक्रोश उस वक्त उनके जान के लिए आफ़त बन गया । उन्होंने इस मामले में 85 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है जिसमें 20 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है और अन्य 65 अज्ञात को शामिल किया गया है। इस मतलब यह हुआ कि यह एक हिंसक आक्रोश था जो किसी बड़े हादसा में तब्दील हो सकता था।
पुलिस ने जब मामले की छानबीन शुरू की तो पता चला कि जिन लोगों की पहचान हो चुकी है वो लोग राष्ट्रीय लोक दल के झंडे लिए हुए थे। फुटेज के आधार पर पुलिस ने उन सभी की पहचान की है। अभी कई और लोगों की पहचान जारी है।
इसी तरह भाजपा के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ भी लोगों ने बहसबाजी की और उन्हें खदेड़ दिया गया। इस तरह लगभग दर्जन भर मामले सामने आये हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह इलाका जाट बहुसंख्यक इलाक़ा है। इस इलाक़े के लोगों को किसान आंदोलन से गहरा लगाव रहा है। साथ ही आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के प्रभाव क्षेत्र का भी यह इलाक़ा है। इस बार के चुनाव में जयंत चौधरी के साथ भाजपा का गठबंधन नहीं हो सका है। इनके साथ गठबंधन नहीं हो सकने के पीछे भी किसान आंदोलन के कारण इन क्षेत्रों में सरकार के विरुद्ध कायम जन आक्रोश ही है। जाट समुदाय की नब्ज की समझ रखने वाले जयंत चौधरी ने अमित शाह के आमंत्रण के बाद भी भाजपा से गठबंधन नहीं किया।
साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में जबरदस्त जीत हासिल की थी। इसके कारण पार्टी की जीत सुनिश्चित हो सकी थी। इसलिए यह भाजपा के लिए चिंता की बात है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में बार-बार इसलिए भाजपा उम्मीदवारों के साथ बत्तमीजी की जारी रही है ताकि यह सन्देश पूरे राज्य में फैल सके कि यह इलाका भाजपा का नहीं है। इससे भाजपा की लोकप्रियता का तिलिस्म कायम नहीं हो सकेगा।
मौके की नजाकत समझने में माहिर भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने 200 से अधिक स्थानीय जाट नेताओं के साथ मीटिंग की है। उन्होंने अपने स्तर पर जयंत चौधरी को भी साथ लेने की कोशिश की है जो सफल नहीं हो पाई है।
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