जब पारिवारिक परिवेश ही दुश्मन बन जाए तो जीवन में संघर्ष की बाढ़ आ जाती है, और हर इंसान अकेला हो जाता है। न जाने कितने लोग इस विषय परिस्थिति में घुटने टेक देते हैं। लेकिन भागलपुर की बेटी मौसम शर्मा की कहानी एक ऐसी अनूठी कहानी है जो अपने-आप में एक मिसाल है। इनके जीवन में ढेरों संघर्ष रहे। हर संघर्ष को इन्होंने अपने जुनून की जीत की कहानी में बदल दी। और इस तरह मौसम शर्मा न सिर्फ महिलाओं के लिए बल्कि अपने सपनों के साथ जीवन जीने की जिद रखने वाले पुरुषों के लिए भी एक मिसाल बन गयी।
कम उम्र में शादी
दरअसल, मिडिल क्लास में जन्मी मौसम शर्मा की कम उम्र में शादी हो गई, और फिर बच्चे भी। इनकी एक बेटी हुई। पिता ने सोचा कि लड़का धनाढ्य है तो बेटी खुश रहेगी। लेकिन वो समझ नहीं पाए कि खुशी पैसों से नहीं आती, विचार से आती है। इनके पति ने इन्हें शरीरिक-मानसिक प्रताड़ना देना शुरू की। प्रताड़ना के कई क्रूर तरीकों का इस्तेमाल किया गया। आखिरकार इन्हें इनके बेटी के साथ जिंदा जलाने का प्रयास किया गया। हर प्रताड़ना को अकेली सहते-सहते आखिरकार वो एक दिन अपनी एक साल की बेटी को गोद में लिए ससुराल से भाग गई। पहले तो इनके परिवार वाले ने इसे बात चीत से सुलझाने का प्रयास किया लेकिन मौसम ने पति की जिंदगी में दुबारा लौटने से साफ इंकार कर दिया। एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इन्होंने अपने पति से तलाक ले लिया औऱ अपनी बेटी को अपने पास रखने का कानूनी हक भी।
अपने दम पर अपनी बेटी की परवरिश की पहल
मौसम को यह समझने में तनिक भी देर नहीं लगी कि शादी के बाद बेटी का पिता के साथ रखना कितना कठिन होता है। हालांकि इनके पिता चाहते थे कि ये अभी मेरे ही घर रह कर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करें। लेकिन मौसम के लिए यह जरूरी हो गया था कि वो अपने दम पर अपनी बेटी की परवरिश की पहल तत्काल शुरू कर दे। कुछ महीने पिता के घर व्यतीत कर लेने से इनकी समस्या का स्थाई समाधान नहीं होता। इस दौरान कई सामाजिक मान्यताओं, लोगों की छीटाकशी आदि ने इनके संघर्ष को और कष्टप्रद बना दिया। पर इन्होंने हार नहीं मानी। अपनी गोद में अपनी बेटी को लिए निकल एक नई जिंदगी की ओर! इस सफर में उनके दो हमराही बने, एक तो इनका जुनून और दूसरी इनकी गोद में भूख से रोटी इनकी बेटी।
डांस क्लास चलाने से करियर की शुरुआत
मौसम शर्मा ने डांस क्लास चलाने से करियर की शुरुआत की। हर एक कदम पर एक नया औऱ जटिल संघर्ष! अकेली महिला को देख लोगों ने न जाने कितनी छीटाकशी किए, उपहास और झूठ परोसे! कई पुरुषों ने इन्हें राक्षसी नज़रों से भी देखा। लेकिन कहते हैं बच्चों में भगवान बसता है। इनकी गोद से चिपकी इनकी बेटी का स्पर्श भगवती दुर्गा की कृपा का स्पर्श बन गया। ये कभी नहीं हारी, जब स्थिति कठिन हो सोचती कि हमें अपनी बेटी के लिए आगे बढ़ाना है। यह सोच ही इनकी ऊर्जा बन गई। औऱ ये आगे बढ़ती गयी।
मौसम का खुशहाल दाम्पत्य जीवन
एक लड़की को डांस सिखाने से शुरू की गई पहल आज बिहार की प्रतिष्ठित संस्था के “नृत्यांगन” रूप में परिणित हो गई है। इन्हें सैकड़ों सम्मान औऱ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनके इस सफलता के सफल में एक रोचक घटना औऱ घटी। एक दिन ये अपनी बेटी औऱ पिता के साथ दिल्ली ट्रेन से जा रहे थे। इनके सामने वाली सीट पर एक इंसान दिखा। इन दोनों के बीच तो केवल औपचारिक बातें ही हुई लेकिन दोनों के दिलो-दिमाग ने आपस में गहरा संवाद कर लिया। इसे दैवीय संयोग कहे या कोई पूर्वजन्म का रिश्ता।
वो जहानाबाद के रवि शर्मा थे। फिर एक बात मोबाइल से बातें हुई। मौसम ने उन्हें आपसी नजदीकी बढ़ाने से स्पष्ट इनकार कर दिया क्योंकि इनकी एक बेटी भी है। वो इनके लिए इनकी बेटी सबसे महत्वपूर्ण हैं। कहते है कि जिन्हें कुदरत मिलना चाहे उन्हें कौन रोक सकता है। साल भर बात फिर बातों का सिलसिला शुरू हुआ। रवि ने इन्हें पत्नी के रूप में औऱ इनकी बेटी को अपनी बेटी के रूप में स्वीकार करने का प्रस्ताव दिया। आज रवि औऱ मौसम का खुशहाल दाम्पत्य जीवन है। रवि ने निष्काम प्रेम का परिचय दिया जो एक शादीशुदा बच्चेदार महिला से इस शर्त पर शादी को तैयार हुए कि उनका खुद का कोई बच्चा नहीं होगा।
सौभाग्य रहा या कुदरत का आशीर्वाद
यह मौसम शर्मा का सौभाग्य रहा या कुदरत का आशीर्वाद जो इनके जीवन में रवि शर्मा का स्नेहशील स्पर्श मिला। मौसम शर्मा डांस के साथ-साथ योग और मेडीटेशन भी सिखाती हैं। इन्होंने कई महिलाओं को डिप्रेशन से बाहर निकाला है, कई को शरीरिक और मानसिक तौर पर भी फिट किया है। निसंदेह, आज मौसम शर्मा की कहानी लोगों के लिए एक आदर्श है, प्रेरणास्रोत है। संघर्ष के दिनों में जो लोग इन पर छीटाकशी करते थे आज उन सब का कद इनकी सफलता के आगे बौना बन चुका है।
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