पटना, 26 फरवरी बिहार के वित्तरहित शिक्षक सरकारी उपेक्षा के शिकार है। सरकारी उपेक्षा से अब इन शिक्षकों की आजीविका संकट में आ गई है। इसलिए बिहार के वित्तरहित शिक्षकों में सरकार के प्रति अब गहरा आक्रोश है। नतीजन वित्त रहित शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ रोषपूर्ण आक्रोश प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है।
असमान वेतनमान है मुख्य मुद्दा
बिहार के वित्तरहित शिक्षकों का असमान वेतनमान मुख्य मुद्दा है। इनकी मांग है कि सरकार संबद्ध डिग्री महाविद्यालयो को घाटानुदानित कर सम्मानजनक वेतनमान निर्धारित करने का निर्णय ले। साथ ही बकाया अनुदान राशि ( इण्टर खंड सहित ) का एक मुश्त भुगतान किया जाए।
वित्तरहित शिक्षक लंबे अरसे से विश्वविद्यालय स्तर पर लंबित अनुदान राशि को महाविद्यालयों को शीघ्र निर्गत करने की मांग कर रहे है। इन मांगों की पूर्ति के लिए आवश्यक धन राशि की आपूर्ति के लिए शिक्षक गण एक तरीका भी बता रहे है। इसके लिए शिक्षकों महाविद्यालय के आंतरिक श्रोत से आय का 70 प्रतिशत शिक्षाकर्मियों को वेतनमद् में भुगतान सुनिश्चित करने का फार्मूला दे रहे है।
10 एवं 11 मार्च को रोषपूर्ण प्रदर्शन और धरना
अपने इन मांगों की पूर्ति हेतु राज्य के लगभग पच्चीस हजार शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी 10 एवं 11 मार्च को बिहार विधानसभा सभा के समक्ष रोषपूर्वक प्रदर्शन करने का निर्णय लिए है।
इसके पूर्व आज शनिवार को बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब )का प्रतिनिधि मंडल विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह , विधान पार्षद डा संजय कुमार सिंह एवं संजीव श्याम सिंह ने मुलाकात कर ज्वलंत समस्याओं से अवगत कराया तथा समाधान की दिशा में सार्थक पहल करने का अनुरोध किया।
फैक्टनेब के मीडिया प्रभारी प्रो अरुण गौतम ने जानकारी देते हुए बताया कि सभापति महोदय के साथ ही विधान पार्षदों ने चिरलंबित समस्याओं के समाधान हेतु हर स्तर पर सहयोग करने का आश्वासन फैक्टनेब के प्रतिनिधि मण्डल को दिया ।
प्रो गौतम ने बताया कि बिहार सरकार के मंत्रियों, विधायकों और विधान पार्षदों के साथ अन्य जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम लगातार जारी रहेगा।
वित्तरहित शिक्षकों के इन मांगों पर सरकार की मंशा कुछ भी स्पष्ट नहीं है। कई आश्वासनों के बाद भी सरकार कोई निर्णय नहीं ले रही है। यह उपेक्षा इन शिक्षकों के मनोबल को तोड़ रही है।
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