उत्तर प्रदेश से एक बडी खबर आ रही है जो राजनीति के जानकारों के मुताबिक भाजपा के लिए राहत से भरी हो सकती है। उत्तर प्रदेश में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने बिना किसी पार्टी से गठबंधन किए अकेले ही राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इसके साथ की भीम सेना का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की सारी अटकलें खत्म हो गयी है। आज भीम सेना के प्रमुख ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस आशय की घोषणा की है। रावण ने कहा है कि उनकी पार्टी प्रदेश में 33 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
इधर कई हफ़्तों से भीम सेना और समाजवादी पार्टी में गठबंधन के कयास लगाए जा रहे थे। भीम सेना प्रमुख ने भी गठबंधन की बात पर विचार करने की कही गई थी। लेकिन आज संवाददाता सम्मेलन में रावण ने कहा कि समाजवादी पार्टी में उनके साथ “धोखा” हुआ है। उन्होंने 25 सीट मांगी थी लेकिन समाजवादी पार्टी ने इंकार कर दिया।
भीम सेना के अलग होने से समाजवादी पार्टी को दलित वोटों को।एकजुट करना कठिन हो जाएगा। उत्तर प्रदेश में दलित वोटों पर मायावती का प्रभाव अधिक है। हाल के वर्षों में भीम सेना की लोकप्रियता दलित जनमानस में बढ़ी है। इसलिए यह कुछ हद तक दलित वोट में सेंध लगा सकती है। अगर इनका गठबंधन समाजवादी पार्टी से होता तो पार्टी को निश्चित रूप से फायदा होता। उल्लेखनीय है कि राज्य में दलितों की तकरीबन 25 प्रतिशत आबादी है। समाजवादी पार्टी का मुख्य प्रभाव ओबीसी पर है। भाजपा के कई ओबीसी दिग्गज पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी में गए है जिससे अखिलेश यादव का प्रभाव बढ़ा है। ऐसे में अगर भीम सेना भी साथ होती तो कुछ हद तक दलित वोटों का भी फायदा होता।
भाजपा पर क्या पड़ेगा प्रभाव ?
भाजपा हमेशा से हिंदुत्व के आधार पर मतदान चाहती है। क्योंकि अगर मतदान का मिजाज जाति के आधार पर होगा तो ओबीसी का एक बड़ा तबका भाजपा के हाथ से निकल जाएगा। जातिगत आधार पर अगर बात करें तो ओबीसी और दलितों पर भाजपा का प्रभाव कम है। इसलिए भाजपा जातिगत आधार पर मतदान की जगह धर्म के आधार पर मतदान का मिजाज बनाना चाहती है। अभी हाल ही में ओबीसी के दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ओबीसी की योगी सरकार में उपेक्षा की बात पैदा कर चुनाव में मिजाज को धर्म की जगह जाति की तरफ मोड़ दिया है।
ऐसे में फायदा तो समाजवादी पार्टी को होता दिख रहा है। अगर भीम सेना भी समाजवादी पार्टी के गठबंधन कर चुनाव लड़ती तो दलित वोटों के कुछ समाजवादी पार्टी के झोली में चली जाती। यह स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद भाजपा के लिए दूसरा झटका होता। भीमसेना के अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में एक तरह तो मायावती के बसपा के दलित वोटबैंक में सेंध भी लगेगा वही समाजवादी पार्टी दलित वोटों से बहुत हद तक वंचित रह सकते हैं।
भीम आर्मी दलितों का एक संगठन है।इस संगठन की स्थापना व उनके कुछ चंद्रशेखर आज़ाद रावण साथीयों ने की थी। भारत में हुए कई राज्यों में हुए दंगों में यह संगठन सक्रिय था। संगठन की भागीदारी दंगों में होने के कारण चन्द्रशेखर रावण को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार कर लिया था।
भीम सेना संगठन के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद रावण हैं।
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