Contents
hide
ग़ज़ल
ये क़लम है इसे ख़ून पिला कर लिक्खें
वरना जाऐं किसी और से जा कर लिक्खें
हम सुख़न वाले सुख़न बेचते रहते हैं मगर
आपका क्या है इसे झूट बता कर लिक्खें
एक ही शख़्स है इस शह्र में भूका प्यासा
ऐसी ख़बरों से मियाँ आँख बचा कर लिक्खें
दुश्मनी मुझसे अगर आपको होती है तो फिर
मेरे माज़ी के वो अवराक़ जला कर लिक्खें
हम फ़की़रों की ये आदत नहीं होती अहमद
कार-ए-मरदूद को पाकीज़ा बना कर लिक्खें